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HAPUR NEWS : वन विभाग की मिली भगत से अवैध लकड़ी कारोबारी की बल्ले बल्ले

HAPUR NEWS : वन विभाग की मिली भगत से अवैध लकड़ी कारोबारी की बल्ले बल्ले

वन विभाग की मिली भगत से अवैध लकड़ी कारोबारी की बल्ले बल्ले
हापुड़ न्यूज़ संवाददाता
हापुड़ । जनपद हापुड़ के थाना देहाती क्षेत्र में आरा मशीन चलाने वाले संचालकों की अवैध रूप से लकड़ी के ठेकेदारों द्वारा जनपद से हरियाली को समाप्त करने में वन विभाग की मिली भगत नजर आ रही है।
बता दे कि जनपद हापुड़ के थाना देहात क्षेत्र में श्यामपुर रोड पर भारी संख्या में आरा मशीन लगी हुई है और यहां पर अवैध रूप से लकड़ी का कटान कर लकड़ी के अवैध ठेकेदार अपनी लकड़ी को खाने में दिखाई पड़ रहे हैं मामला सुबह का है जब एक आरा मशीन पर लकड़ी गाड़ी क्यों खड़ी देखकर मीडिया द्वारा वन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी गई तो वन विभाग के रेंजर का कहना था कि जब भी मीडिया फोन करें तो क्या तभी हम गाड़ी चेक करें सभी गाड़ियां एक नंबर में आ रही है जब रेंजर द्वारा बताया गया की गाड़ी के साथ में किसी भी प्रकार का गाड़ी का कोई रवन्ना नहीं है। तो रेंजर का कहना था कि हम गाड़ी के पेपर यहीं पर मंगा कर चेक कर लेंगे।
अब आपको बता दे कि किसी भी लकडी के संचालन कटान से लेकर गाड़ी केसे लकड़ी के उतरने के दौरान गाड़ी के साथ में एक रमन होना अत्यंत आवश्यक है परंतु जब गाड़ी फस जाती है या मीडिया द्वारा कवरेज कर ली जाती है तो वन विभाग की मिली भगत के चलते बाद में किसी भी रमन ने को तैयार कर मीडिया को दिखा दिया जाता है जबकि यह परंपरा नहीं है परंपरा गाड़ी के साथ में रवन्ना होने की है और रवन्ना अगर गाड़ी के साथ में नहीं है तो गाड़ी अवैध मानी जाती है जब हम हमारे मीडिया कर्मियों द्वारा गाड़ी की कवरेज कर ली गई तो गाड़ी मालिक द्वारा बताया गया कि रमन फैक्ट्री संचालक के पास है जो वन विभाग की मिली भगत को आरा मशीन संचालक के साथ होना दर्शा रहा है।
अब देखने वाली बात यह है कि आखिर वन विभाग के0 अधिकारी मौके पर आकर गाड़ी की चेकिंग क्यों नहीं करते हैं आखिर मीडिया द्वारा कवरेज करने के पश्चात गाड़ी के पेपर कैसे पूरे हो जाते हैं या वह पुराने पेरो को ही मीडिया को बेवकूफ बनाने के लिए इस गाड़ी का तैयार कर दिखा दिया जाता है गाड़ी के साथ में गाड़ी के पेपर क्यों नहीं होते सूत्रों की अगर बात करें तो सूत्रों का कहना है की प्रत्येक गाड़ी के हिसाब से आरा मशीन संचालकों द्वारा एक निश्चित तयसुदा रकम दी जाती है। इतना ही नहीं आरा मशीन संचालक को द्वारा प्रति माह के दर से भी वन विभाग को रकम दी जाती है।
अब अगर सूत्रों की बात को सही माना जाए तो फिर वन विभाग की संलिप्त की जांच होना अत्यंत आवश्यक है जिसके लिए वन विभाग से ऊपर के अधिकारियों को जांच के लिए भेजा जाना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि आज जिस प्रकार से पेड़ों का कथन कर हरियाली को समाप्त किया जा रहा है तो वह कहीं ना कहीं जनपद को ऑक्सीजन से मरहूम करते हुए बीमारियों की सौगात के रूप में लोगों को करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
सरकार को भी लाखों करोड़ का नुकसान
जिस प्रकार से वन विभाग की संलिप्तता से जनपद में पेड़ों का कटान हो रहा है और सरकार को प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों पेड़ लगाकर जनपद को हरियाली देने का प्रयास किया जा रहा है तो वह कहीं ना कहीं जनपद को एक बहुत बड़ा नुकसान है।

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