HAPUR NEWS : जाने जनपद में कब होगा होलिकादहन एवं कब उड़ेगा रंग और गुलाल
जाने जनपद में कब होगा होलिकादहन एवं कब उड़ेगा रंग और गुलाल
हापुड़ न्यूज़ संवाददाता
हापुड़ । भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा (रजि) से जनपद के अध्यक्ष पं0 के0 सी0 पाण्डेय काशी वालो ने आगामी होली के पर्व को लेकर ज्योतिष धर्म शास्त्रों के अनुसार दिन व समय के सम्बंध में बताया है। तो आईए जानते हैं कब होगा होली का पर्व और कब बचेगा रंग में गुलाल का हुड़दंग
रंगों का पर्व होली त्यौहार 25 मार्च को मनाया जाएगा तथा होलिका दहन 24 मार्च को रात्रि में 11बजकर 13 मिनट के बाद किया जाएगा पूर्णिमा तिथि 24 मार्च की सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर पृथ्वी लोक की अशुभ भद्रा के साथ शुरू होकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा भद्रा रात्रि 11.13 तक रहेगा शास्त्रों में स्पष्ट लिखा है "भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा। श्रावणी नृपति हन्ति, ग्रामं दहति फाल्गुन"।।अर्थात श्रावणी में भद्रा राजा का नाश तथा फाल्गुनी में नगर व राष्ट्र का नाश करती है अतः भद्रा समाप्ति के बाद ही होलिकादहन करना सही होगा व्रत की पूर्णिमा 24 मार्च को और स्नान दान पूर्णिमा 25 मार्च को रहेगा होलिकादहन शुभ मुहूर्त सर्वार्थसिद्धि योग में रात्रि 11.13 से 12.24 के बीच होगा होलिकापूजन समय क्षेत्रीय परम्परा है निर्णयसिंधु धर्मग्रन्थ में निर्णयामृत व ज्योतिर्निबंध के अनुसार फाल्गुन मास में प्रदोषव्यापिनी पूर्णिमा ही होलिका है. प्रतिपदा, चतुर्दशी और भद्रा में यदि होली दिन में पूजित होती है तो एक साल तक राष्ट्र व नगर के लिए अशुभ होता है अतः भद्राकाल में होलिकापूजन निषेध है नारद वचन के अनुसार “प्रदोष व्यापिनी ग्राह्या पौर्णिमा फाल्गुनी सदा।
तस्यां भद्रामुखं त्यक्तवा पूज्या होला निशामुखे।।” अर्थात सदा फाल्गुन मास की पूर्णिमा को प्रदोषव्यापिनी ग्रहण करें उसमे भी भद्रा मुख को त्यागकर निशा मुख में होलिका पूजन करें
24 मार्च को सुबह 9.55 से पूर्णिमा तिथि लगने के साथ ही दोपहर 2 बजकर 20 मिनट तक पृथ्वीलोक की अधिक अशुभ भद्रा होने की स्थिति है अतः इस श्लोक प्रमाण "पृथिव्यां यानि कर्माणि शुभान्यप्यशुभानि वा। तानि सर्वाणि सिद्ध्यन्ति विष्टिपुच्छे न संशयः ॥ अर्थात पृथ्वी पर स्थित जितने कार्य (शुभ या अशुभ) हैं, वे सब विष्टि (भद्रा) के पुच्छ समय में करने से सिद्ध होते हैं दोपहर 2.20 के बाद पाताल लोक की कम अशुभ भद्रा के पूंछकाल व शुभ की चौघड़ीया में पूजन करना सही होगा भद्रा का मुखकाल पूर्ण त्याज्य है होलिकापूजन 24 मार्च को दोपहर 2.20 मिनट से 3.30 और सायंकाल 6.33 से 7.53 तक का समय श्रेष्ठ रहेगा पूजन में उपले, नारियल, पान, सुपारी, अक्षत,जल,बतासा धूप,गंध,चना के साथ मिष्ठान चढ़ाना चाहिए साथ ही ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र जप करना चाहिए होलिकापूजन व दहन के समय मंत्र- अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम् ॥ जप करते हुए होलिका की 7 बार परिक्रमा करें तथा गेहूँ की बालियां भूनने की भी परम्परा है होली से 8 दिन पूर्व फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक़ की मान्यता क्षेत्रीय परम्परा है जो 17 मार्च से 24 मार्च तक रहेगा ग्रहों की उग्र स्थिति के कारण इस अवधि में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते है.
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