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HAPUR NEWS : चतुर्थ स्तंभ का आखिर क्यों मनोबल तोड़ रहे है लोकसभा प्रत्याशी ?

HAPUR NEWS : चतुर्थ स्तंभ का आखिर क्यों मनोबल तोड़ रहे है लोकसभा प्रत्याशी ?

चतुर्थ स्तंभ का आखिर क्यों मनोबल तोड़ रहे है लोकसभा प्रत्याशी ?
क्या मीडिया कर्मियों को भी अपने सम्मान के लिए लोकसभा तक जाना पड़ेगा बड़ा सवाल?
हापुड न्यूज़ संवाददाता
हापुड । 15 अगस्त सन 1947 को देश की आजादी के बाद जहां दलित समाज ने राजनीति में प्रवेश करते हुए अपना हक प्राप्त करते हुए सम्मान प्राप्त किया वही मुस्लिम समाज को भी वोटो की राजनीति में सम्मान देने का काम किया जातिगत आधार पर सभी राजनीतिक दल प्रतीक जाति को सम्मान देते हुए लगातार कोई ना कोई सम्मान के रूप में चाहे टिकट देकर या फिर राज्यसभा या लोकसभा में भेजने का काम कर रहे हैं इसके लिए चाहे उन्हें बिना जनता के ही चुनाव लड़ा कर क्यों ना जाति के हिसाब से अपना गणित बनाना पड़े।
परंतु आज देखने वाली बात यह है कि सन 1947 से जिस प्रकार से मीडिया को सम्मान मिल रहा था परंतु 20 वर्षों में मीडिया का सम्मान निरंतर गिरता जा रहा है ना तो कोई मीडिया कर्मी लोकसभा में जाकर बैठा है और ना ही कोई मीडिया कर्मी विधानसभा में जाकर बैठा है और अगर कोई बैठा भी है तो उसने अपने को मीडिया कर्मी होने से दूरी बना ली।
 बड़ी सोचने वाली बात है कि आज मीडिया का स्तर इतना निरंतर गिरता हुआ नजर आ रहा है कि आज उसकी कलम की धार को ना तो कोई राजनीतिक दल मेहता देता है और ना ही समाज का कोई प्रबद्ध। 
मीडिया कर्मी को सम्मान तो मिलता है परंतु चाहे वह राजनीतिक दल हो या फिर समाज का कोई प्रबुद्ध। सिर्फ अपनी खबर के प्रकाशन या प्रसारण के लिए सम्मान देता है। परंतु जब बात आती है किसी मीडिया कर्मी के द्वारा एक विज्ञापन के रूप में अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालने की तो क्या वह राजनीतिक दल का नेता हो या कोई प्रबुद्ध वर्ग । सभीकी  निगाह में वह चोर हो जाता है आखिर ऐसा क्यों?
हम अपनी इस खबर के माध्यम से अपने समस्त मीडिया कर्मी साथियों से अपील करना चाहते हैं कि वह भी एक अपने सम्मान के लिए या तो कोई राजनीतिक दल बना ले या फिर अपनी कलम की धार को मजबूत कर ले अन्यथा आज की सरकार या फिर आने वाली सरकार आने वाले समय में हमें नहीं लगता मीडिया का कोई अस्तित्व बचा रहने देगी।
हमने देखा है जब कोई मीडिया कर्मी खबर के लिए जाता है तो उसे राजनीतिक दल हो या प्रबुद्ध वर्ग सभी के द्वारा सम्मान देने का प्रयास किया जाता है परंतु जब है इस राजनीतिक दल या प्रबुद्ध वर्ग के पास किसी पर्व पर सम्मान मांगने जाता है तो उसको सिर्फ अपना तिरस्कार झेलना पड़ता है उसको अपनी बेइज्जती करनी पड़ती है राजनीतिक दल के नेता या फिर प्रबुद्ध वर्ग उसे एक पत्रकार ना मानते हुए सिर्फ उसे एक रंगदारी मांगने वाला युवक बात कर बेइज्जत करने का काम करते हैं।
जनपद हापुड़ में हमने देखा है राजनीतिक दलों की आने को खबरें ऐसी आबद्धता की खूब सोशल मीडिया पर चल रहे हैं परंतु राजनीतिक दलों पर उन खबरों का कोई असर भी नहीं है आज सोचने का समय आ चुका है या तो हम इन राजनीतिक दलों को कलाम की धार दिखा दे या फिर उनके चुनाव को ऐसा कर चांद दिखा दे कि यह लोग मीडिया के सम्मान को देने के लिए विवश हो जाए।
चाहे सत्ता धारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी की बात करें चाहे विपक्षी इंडिया गठबंधन की या फिर भारतीय जनता पार्टी के पैक्ट के रूप में गिने जाने वाली बहुजन समाज पार्टी या फिर इसके अतिरिक्त अन्य छोटे-बड़े दलो, सभी की निगाह में एक मीडिया कर्मी खबरों के अतिरिक्त अगर किसी भी प्रकार की कोई मांग करता है तो वह सिर्फ एक चोर होने के अलावा कुछ नहीं दिखाई पड़ रहा है।
आओ बढाओ हाथ सब मिलकर
दिखा दो धार अपनी कलम की तलवार की
बतादो जनता को सभी की हकीकत
किस सोच से आये हैं सब मैदान में

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