HAPUR NEWS : चुनावी ड्यूटी पर तैनात सशस्त्र सीमा बल के अफसर और कार्मिकों को नहीं मिला ठिकाना, आगरा पुलिस ने भी नहीं की मदद
चुनावी ड्यूटी पर तैनात सशस्त्र सीमा बल के अफसर और कार्मिकों को नहीं मिला ठिकाना, आगरा पुलिस ने भी नहीं की मदद
'उप कमांडेंट होटल मे कमरा किराये पर लेकर कार्मिक सहित रहने को मजबूर, नहीं मिला निर्वाचन नोडल अधिकारी से पर्यवेक्षक तक का नंबर
नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश मे लोकसभा चुनाव के दौरान, अपनी ड्यूटी को बेहतर तरीके से अंजाम देने वाले सशस्त्र सीमा बल 'एसएसबी' के अधिकारी व जवान रहने की व्यवस्था तलाशते रहे। दूसरे चरण का सफल मतदान कराने के बाद एसएसबी की कंपनी, तीसरे चरण की मतदान ड्यूटी के लिए उत्तर प्रदेश के जनपद मथुरा से जनपद आगरा पहुंची थी। आगरा में ऐसी हालत हुई कि न तो एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट को रहने की उचित जगह मिली और न ही दूसरे कार्मिकों को। वे कई घंटे तक इधर उधर भटकते रहे। जब उप कमांडेंट ने राजीव सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक से मदद का आग्रह किया, तो उन्होंने भी दो टूक शब्दों में जवाब दे दिया, उन्होंने कहा, हम इससे बेहतर नहीं कर सकते। आपके कार्मिक कहां रहेंगे, ये आप देख लीजिए। इतना कुछ होने के बाद एसएसबी अधिकारी ने अपने आईजी, आगरा के पुलिस आयुक्त और निर्वाचन आयोग सहित कई अफसरों को मामले की शिकायत दी है।
सशस्त्र सीमा बल 'एसएसबी' की तदर्थ वाहिनी 722 के कमांड अधिकारी 'उप कमांडेंट' द्वारा बल के आईजी महेश कुमार, सीमांत मुख्यालय लखनऊ को शिकायत भेजी गई है। इस शिकायत की प्रति, निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली, सीआरपीएफ मध्य सेक्टर लखनऊ के आईजी, पुलिस आयुक्त आगरा और जिला अधिकारी आगरा को भी प्रेषित की गई है। इसमें कहा गया है कि चुनावी ड्यूटी के दौरान, केंद्रीय बल के जवानों और अधिकारियों को आवास एवं मूलभूत सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ा है। एसएसबी के जवान, दूसरे चरण की मतदान प्रक्रिया पूरी कराने के बाद 27 अप्रैल को मथुरा से आगरा पहुंचे थे। इन जवानों को अब तीसरे चरण का मतदान संपन्न कराना है।
शिकायत के मुताबिक, जब एसएसबी जवानों की कंपनी आगरा पहुंची, तो वहां पर राज्य पुलिस के किसी भी व्यक्ति ने कंपनी की सुध नहीं ली। न तो किसी ने फोन किया और न ही किसी ने यह जानकारी दी कि जवानों और अफसरों को कहां पर ठहरना है। उप कमांडेंट अपने जवानों के साथ इधर-उधर भटकते रहे। इस बाबत आगरा पुलिस के निर्वाचन नोडल अधिकारी, राजीव सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक को फोन पर उक्त समस्या की जानकारी दी गई। उन्होंने इंतजार करने के लिए कहा। कुछ समय बाद आगरा पुलिस के आरक्षी ने फोन पर उप कमांडेंट को एक होटल में जाने के लिए कहा। उप कमांडेंट, होटल में चला गया। होटल में जाकर देखा, तो वहां की दयनीय हालत थी। बल के दूसरे कार्मिकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। इसके बाद उप कमांडेंट ने दोबारा से आगरा पुलिस के अधिकारी राजीव सिंह से बात की।
अपर पुलिस अधीक्षक, ने जो जवाब दिया, वह हैरान करने वाला था। उन्होंने कहा, हम इससे बेहतर नहीं दे सकते। आपके कार्मिक कहां रहेंगे, ये आप देख लीजिये। उप कमांडेंट ने कहा, मैं अपने कार्यालय को आगरा से दूर स्थापित नहीं कर सकता। इसके बावजूद अपर पुलिस अधीक्षक का रवैया नहीं बदला। उप कमांडेंट ने राजीव सिंह से आग्रह किया कि मैं अपने खर्च पर होटल ले लेता हूं, आप 'नो एकमोडेशन सर्टिफिकेट' प्रदान कर दें। अपर पुलिस अधीक्षक ने इसके जवाब में कहा, मैं ऐसा कोई प्रमाण पत्र नहीं दूंगा। उन्होंने उप कमांडेंट को यह रिपोर्ट करने की धमकी दी कि उन्होंने एकमोडेशन (आवास) लेने से मना किया है। जब उप कमांडेंट ने अपर पुलिस अधीक्षक, राजीव सिंह से पर्यवेक्षक का नंबर मांगा गया, तो उन्होंने उपलब्ध नहीं कराया।
इस घटनाक्रम के बाद शिकायतकर्ता उप कमांडेंट ने फतेहपुर सीकरी में स्वयं के खर्च पर होटल का कमरा किराये पर लिया। अपने कार्मिकों के रहने का इंतजाम भी किया। उप कमांडेंट ने कहा, केंद्रीय पुलिस बल में रहते हुए हमें अक्सर, अपने घर परिवार से दूर रहना पड़ता है। कई अवसरों पर स्थानीय पुलिस का सहयोग प्राप्त नहीं होता। ऐसे में हमारी सेवा चुनौतीपूर्ण हो जाती है। इस मामले में उचित हस्तक्षेप किया जाए, ताकि हमारे आत्मसम्मान तथा मनोबल को संबल प्राप्त हो।
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